Monday, December 31, 2018

इन्सान?

इन्सान कौन है? 


वैसे तो इस सवाल का जवाब हम सभी एक ही देंगे कि जो मानव जाति का है, जो जीवित है, वगैरह वगैरह, वो इंसान है. परन्तु क्या इंसान की सिर्फ इस परिभाषा से हम संतुष्ट हो सकते हैं?


खाते हैं, पीते हैं, बच्चे पैदा करते हैं, उनको पालते हैं, अगर केवल इतनी परिभाषा को ही माना जाए तो फिर इंसान और जानवर में तो कोई फर्क राह ही नहीं गया, क्योंकि वो भी यही सब कुछ करते हैं. इस हिसाब से तो इंसान जानवर एक समान ही हैं.  बल्कि उजानवर तो मरने के बाद भी काम लाया जाता है जैसे उसकी हड्डियों व खाल को भी उपयोग में लाया जा सकता है फिर तो मतलब ये कि इंसान जानवर से भी गया गुज़रा हो गया??


एक दिन मैं टेलीविजन पर एक सत्संग सुन रहा था. सत्संग कर रहे गुरुजी ने बताया कि इंसान वो है जो सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए जिये.
किसी दूसरे को दुख में तड़पता देख हँसी के ठहाके न लगाए बल्कि उसके दुःख में शामिल होकर उसका दुख दूर करने की कोशिश करे और दूसरों के लिए जीना व दूसरों के दुख में सहायता करना ही सच्ची इंसानियत है. ये सुनकर मुझे इंसान और इंसानियत की सच्ची परिभाषा का पता लगा.

ये सब बताने वाले और इस रास्ते पर चलने वाले कई करोड़ों शिष्य बनाने वाले ऐसे गुरु कोई और नहीं बल्कि डेरा सच्चा सौदा (सिरसा) के गुरु संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसान हैं. मुझे जिज्ञासा हुई उनके बारे और जानने की तो मैं उनके एक अनुयायी से मिला और उनसे पूछा तो उसने बताया कि गुरु जी ने ही हमें इंसान बनाया है. उन्होंने ही हमें इंसानियत की परिभाषा समझाई और उस पर चलना सिखाया वरना तो हम भी जानवरों की तरह जिये जा रहे थे.

उसने अपने गले मे डाला हुआ लॉकेट दिखाया व बताया कि गुरु जी ने हमें जाम-ए-इंसान पिलाया और इसे पीने वाले को इंसान कहकर पुकारा. इसको पीने वाले को गुरु जी ने प्रण करवाया कि वो कोई बुराई नही करेंगे, नशा व हरामखोरी से दूर रहेंगे व सच्चे इंसान की तरह इंसानियत की राह पर चलेंगे.


आज तक सारे अनुयायी लगातार इसी प्रण को निभा रहे हैं और ये हर किसी दुखी व बेसहारा के दुख में शामिल होते हैं व उसकी हर प्रकार से सहायता करते हैं जैसे मरीज को खून, गुर्दा, मरने पश्चात आंखे दान करते हैं. गरीब व बेसहारा घरों को पूरे माह का राशन देते हैं. विधवा व लाचारों को मकान बनाकर देते हैं व बीमारों का इलाज करवाते हैं.

मैं सुन कर स्तब्ध हो गया.  कमाल हैं ये लोग जो दूसरों के लिए इतना कुछ कर रहे हैं और हम हैं कि बस खुद के लिए जी रहे हैं. उस दिन मैंने तय किया कि मैं डेरा सच्चा सौदा के साथ मिलकर मानवता की सेवा करूँगा ओर एक अच्छा इंसान बनकर इंसानियत के राह पर चलूंगा...

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