हमें खाना बिलकुल बर्बाद नहीं करना चाहिए महाभारत काल की एक घंटना याद आती है कहते है दुर्योधन ने एक सात ऋषियो को पांडवो के घर खाने के लिए भेजा उस समय पांडव वन में रहते थे।सभी ऋषि भूखे थे और उन्होंने पांडवो को खाने की इच्छा जताई और स्नान करने चले गए। सभी पांडव चिंतित हो गए की आज ऋषियो को खाना कैसे खिलाएंगे।उनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था।बर्तन सिर्फ एक दाना चावल का था तभी वहा श्री कृष्ण का आगमन हुआ उन्होंने भी खाने की इच्छा जताईतब द्रोपदी ने श्री कृष्ण को एक दाना चावल का दिया उस एक दाने से ही उन सात ऋषियो और श्री कृष्ण का पेट भर गया था। इससे हमें शिक्षा है अगर भगवन श्री कृष्ण का पेट एक चावल के दाने से भर सकता है इसलिए खाना बिलकुल भी ख़राब करना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य दिवस के इतिहास को जान लेते है आखिर कब से और क्यों मनाया जाता है ये अंतर्राष्ट्रीय खाद्य दिवस।
आखिर क्या है विश्व खाद्य दिवस का इतिहास
विश्व खाद्य दिवस (World Food Day) हर साल 16 अक्टूबर को दुनिया भर में अलग अलग थीम में साथ मनाया जाता है । इस दिन यानि 16 अक्टूबर को वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र सभा ने खाद्य और कृषि संगठन की स्थापना की। इसी तिथि के सम्मान में यह वार्षिक उत्सव पुरे विश्व में मनाया जाता है। विश्व खाद्य दिवस (World Food Day) को कई अन्य संगठनों, जैसे इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट, वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम आदि, द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है जो खाद्य सुरक्षा से जुड़े मामलों से संबंधित हैं।
विश्व खाद्य दिवस (World Food Day) की स्थापना खाद्य और कृषि संगठन के 20वें जनरल सम्मेलन में नवंबर 1979 में सदस्य देशों द्वारा की गई थी। डॉ पाल रोमानी, हंगरी के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य और उस समय के कृषि और खाद्य मंत्री ने 20वें जनरल सम्मेलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और दुनिया भर में वर्ल्ड फ़ूड डे (World Food Day) को लॉन्च करने का प्रस्ताव रखा था। तब से हर वर्ष विश्व खाद्य दिवस दुनिया भर के 150 से ज्यादा देशों में मनाया जाता है।
हाल ही के कुछ वर्षो से इस दिवस को खाद्य इंजीनियर्स दिवस भी कहा जाता है। भारत में यह दिवस कृषि के महत्व को दर्शाता है और इस बात पर बल देता है कि भारतीयों द्वारा उत्पादित और उपभोग किया जाने वाला भोजन सुरक्षित और स्वस्थ हो। विश्व खाद्य दिवस भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। दिल्ली में खाद्य के सच्चे प्रेमी एक साथ खड़े हुए और उन्होंने भोजन को स्वच्छ और सुरक्षित रखने की शपथ ली। उन्होंने भारत में GM (आनुवंशिक रूप से संशोधित) फसलों की शुरूआत का विरोध किया. दिल्ली में लोग इस अवसर को दस्तेकर मेले के क्राफ्ट संग्रहालय में मनाते हैं. वे रंगोली बनाते हैं और आनुवांशिक संशोधन के मामले पर सड़क पर नुक्कड़-नाटक भी करते हैं। For more click here
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